पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Friday, August 27, 2010

गीत 38 : शरते आज कोन अतिथि

शरत में आज कौन अतिथि
आया प्राणों के द्वारे।
आनंद-गान गा रे हृदय
आनंद-गान गा रे।

नीले आकाश की नीरव कथा
शिशिर में भीगी व्याकुलता
मुखरित हो ये आज तुम्हारी
वीणा के तार-तार में।

धान के खेतों के स्वर्ण गान में
लय मिला रे आज समान तान में,
मिला दे सुर प्लावित नदी की
अमल जलधार में।

आया है जो उसके मुख पर
देख चाहकर गहन सुख में
द्वार खोलकर साथ में उसके
बाहर निकल जा रे।

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