पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Thursday, July 22, 2010

गीत 15 : जगत जुड़े उदार सुरे

आनंद गान है गूंजित जिससे
जुड़ा जगत उदार सुर में,
वह गान उच्च स्वरों में कब
गूँजेगा अंतरतर में।

आकाश, प्रकाश, हवा और जल
होगा कब इनसे प्रेम-प्रसंग।
हृदय-सभा में जुटकर सारे
बैठेंगे कब नाना रूपों में।

ये नैन खुलेंगे कब
कि प्राणों को मिले खुशी
जिस पथ से चलते जाएँ
सबको हो संतुष्टि।

तुम्हारा साथ है, यह बात कब
जीवन में होगी सत्य सहज
ध्वनित होगा सब कर्मों में
तुम्हारा नाम सहज ही कब।

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