पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Tuesday, July 27, 2010

गीत 20 : आजि झड़ेर राते तोमार अभिसार

आज तूफानी रात में हो तुमसे अभिसार,
प्राणसखा, हे मेरे प्यार।

आकाश रोता हताश-सा,
नींद नहीं मेरी आँखों में,
द्वार खोलकर, हे प्रियतम,
चाहूँ बस तुमको बार-बार
प्राणसखा, हे मेरे प्यार।

बाहर कुछ भी देख न पाऊँ,
तुम किस पथ पर मन में लाऊँ।

सुदूर किस नदी के पार,
किस गहन वन के पास,
कौन-सा घन अंधकार
कर रहे तुम पार।

प्राणसखा, हे मेरे प्यार।

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