पढि़ए प्रतिदिन : एक नया गीत

Wednesday, July 21, 2010

गीत 14 : जननी, तोमार करुण चरणखानि

जननी तुम्हारे दोनों करुण चरण
दिखे हैं आज इस अरुण किरण में।

जननी तुम्हारी मृत्युंजय वाणी
भर जाए चुपके से नीरव गगन में।

तुम्हें नमन है निखिल भुवन में,
तुम्हें नमन है सब जीवन-कर्म में,
तन-मन-धन करूँ आज समर्पण
तुम्हारे भक्तिपावन पूजार्चन में।

जननी तुम्हारे दोनों करुण चरण
दिखे हैं आज इस अरुण किरण में।

No comments:

Post a Comment